श्रीगिरिधरजी महाराज के वाड्मय स्वरूप का परिचय
श्रीगिरिधरजी महाराज ने विद्धत्तापूर्ण ढंग से विविध ग्रन्थों की टीका व रचनाए की है। वह आपश्री के पाण्डित्य और वाड्मय स्वरूप की झाँकी कराता है । आपके प्रमुख ग्रन्थों में अणुभाष्य विवरण उध्र्वपुण्डमार्तण्ड, श्रीमद्भागवत की बालप्रबोधिनी टीका, विद्धनमण्डन की हरितोषिणी टीका, श्रुतिरहस्य, ब्रह्मसुत्रभाष्य पर विवरण में हैं ये ग्रन्थ सम्प्रदाय की प्रमुख अध्ययन निधि है। इसके अलावा आपश्री ने ‘‘श्री सुबोधिनी पर टीका’’ भी लिखी,जो अप्प्राप्त है। तो साथ में आपश्री का उत्सव निर्णय ग्रन्थ भी सम्प्रदाय में श्रीपुरूषोत्तमजी कृत ‘उत्सव प्रतान’ ग्रन्थ के समकक्ष है और यह मान्य तथा संक्षिप्त में अकाट्य निर्णय प्रस्तुत करने वाला ग्रन्थ हैं। आपश्री द्वारा अन्नकुट के पुष्टि यज्ञ स्वरूप के श्लोक रचित है। सबसे महत्वपूर्ण आपका शुद्धाद्वैत मार्तंड ग्रन्थ जो विद्वानों के लिये ब्रहमवाद का अच्छा प्रतिपादन करने वाला और मार्गनिर्देशन प्रदान करने वाला ग्रन्थ है।