अनुभूति

केवल ज्ञानी की अनुभूति में प्रपंच की निवृत्ति होती है। परन्तु पुष्टिभक्तिमार्गीय भक्त की अनुभूति में प्रपंच विस्मृतिपूर्वक भगवद् आसक्ति भी होती है।